कांशी राम जी की सोहबत में

200.00

Shipping calculated at checkout

~ डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर के महापरिनिर्वाण के बाद बहुजन समाज में एक अँधेरा छा गया। सर्व मिशन छिन्न-विछिन्न हो गया। ऐसी भयानक एवं खौफनाक सामाजिक परिस्थिति में पंजाब प्रान्त के रोपड़ जिले में एक नौजवान डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर का एक सिपाही कांशी राम पूना शहर की सड़कों पर उतरा। निकला तो वह अकेला ही था लेकिन चलते-चलते उसे अनेक साथी मिलते गए। लेखक भी पूना की सड़कों का रोड-मास्टर है जो कांशी राम का एक साथी है। कारवाँ बढ़ता गया। कांशी राम को चैन की नींद कहाँ थी। सवेरे पाँच बजे वह सड़कों पर साइकिल लेकर सवार होता था। ना खाने की परवाह न सोने की। एक भूत सवार था उसके दिमाग में। बाबा का अधूरा मिशन, पूरा करना है। निकला, दिमागों के साथ दिलों को जोड़ने को। दिलों-दिमागों को जोड़ना बहुत कठिन काम था। लेकिन ‘पट्ठा’ इरादे का पक्का था। ‘जब इरादा पक्का हो तो रास्ता भी निकल आता है’ उसने रास्ता खोज लिया। ~ मनोहर आटे

लेखक – मनोहर आट े
संपादक – गुरंदर आज़ाद ~

Partner: The Shared Mirror Publishing House.

All Rights Reserved. Copyright owned by Partner and Artist.

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “कांशी राम जी की सोहबत में”

Your email address will not be published. Required fields are marked *